Ratan Tata, जो 86 वर्ष की उम्र में 9 अक्टूबर 2024 को इस दुनिया से विदा हो गए, भारतीय उद्योग जगत के एक महानायक थे। वे न केवल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए, बल्कि अपने मानवीय गुणों और परोपकारिता के लिए भी जाने जाते थे। उनकी देखरेख में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर एक अमिट छाप छोड़ी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महान उद्योगपति का एक खास मित्र भी था, जो उम्र में उनसे बहुत छोटा था?
Ratan Tata और उनका सबसे युवा सहयोगी
हम बात कर रहे हैं शांतनु नायडू की, जो टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा महाप्रबंधक थे और Ratan Tata के एक बहुत ही करीबी दोस्त। शांतनु और रतन टाटा के बीच का संबंध सिर्फ एक बॉस और कर्मचारी का नहीं था, बल्कि यह एक गहरे विश्वास और मानवीय जुड़ाव पर आधारित दोस्ती थी।
Shantanu Naidu की पृष्ठभूमि
Shantanu Naidu महाराष्ट्र के पुणे से हैं। उन्होंने 2014 में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद टाटा एलेक्सी में एक डिज़ाइन इंजीनियर के रूप में काम किया। यहीं से उनके और रतन टाटा के बीच की यात्रा की शुरुआत हुई। स्नातक के बाद, उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से एमबीए किया और फिर टाटा ट्रस्ट्स के लिए काम करने वापस आ गए।
उनकी और टाटा की दोस्ती एक अनोखी घटना के साथ शुरू हुई। एक दिन, शांतनु ने सड़क पर एक आवारा कुत्ते को बेजान पड़ा देखा और इससे उनका दिल द्रवित हो गया। कुत्तों के प्रति उनका यह प्रेम उन्हें एक विचार तक ले गया—उन्होंने सड़क पर आवारा कुत्तों के लिए रिफ्लेक्टर कॉलर डिज़ाइन किया, ताकि रात के समय वे सुरक्षित रहें। इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग जुटाने में जब शांतनु को कठिनाई हुई, तो उनके पिता ने उन्हें रतन टाटा को एक पत्र लिखने की सलाह दी।
Ratan Tata और Shantanu Naidu की मुलाकात
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शांतनु ने हिचकिचाते हुए रतन टाटा को पत्र लिखा, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उन्हें दो महीने बाद जवाब मिला। रतन टाटा ने न केवल Shantanu Naidu से मुलाकात की, बल्कि उनके कुत्तों के लिए किए जा रहे कार्य की सराहना भी की। इस मुलाकात के बाद, दोनों के बीच एक गहरी दोस्ती का विकास हुआ। रतन टाटा ने शांतनु के “मोटोपाव्स” प्रोजेक्ट में वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे यह एक सफल स्टार्टअप बन गया।
टाटा समूह में शांतनु की भूमिका
2018 से, शांतनु Ratan Tata के प्रबंधक के रूप में काम कर रहे थे और टाटा के मार्गदर्शन में कई परियोजनाओं और पहलों का नेतृत्व कर रहे थे। Shantanu Naidu का एक और उद्यम है, जिसे “गुडफेलो” कहा जाता है। यह व्यवसाय बुजुर्गों को सहायता प्रदान करता है और उनके जीवन को सरल बनाने के लिए काम करता है।
Ratan Tata के अंतिम संस्कार में शांतनु की भूमिका
Ratan Tata के निधन के बाद, Shantanu Naidu ने उन्हें अंतिम विदाई दी। येज़दी मोटरसाइकिल पर सवार होकर, वे उस वाहन का नेतृत्व कर रहे थे जिसमें रतन टाटा का पार्थिव शरीर था। यह नजारा इस बात का प्रतीक था कि कैसे शांतनु ने न केवल रतन टाटा के कार्यों को आगे बढ़ाया, बल्कि उनके साथ एक अनमोल संबंध भी साझा किया।
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एक भावुक विदाई: “अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस”
Ratan Tata के निधन के बाद, शांतनु ने LinkedIn पर एक भावुक पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने अपनी और रतन टाटा की तस्वीर साझा की। उन्होंने लिखा, “इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है, मैं उसे भरने की कोशिश में अपना बाकी जीवन बिता दूंगा। प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है। अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस।”
Ratan Tata की विरासत
Ratan Tata ने अपने जीवनकाल में न केवल व्यावसायिक क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की, बल्कि उन्होंने समाज के विभिन्न हिस्सों में भी अपना योगदान दिया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अपनी वैश्विक पहचान बनाई और ब्रिटिश ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया।
उनके मार्गदर्शन में टाटा समूह ने न केवल व्यापारिक सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक सेवा में भी उत्कृष्टता प्राप्त की। उनके प्रयासों से टाटा समूह की धर्मार्थ शाखा और कई स्टार्टअप्स को नई ऊंचाइयां मिलीं।
Shantanu Naidu और उनकी प्रेरणा
शांतनु नायडू Ratan Tata के मार्गदर्शन से प्रेरित होकर अपनी भविष्य की योजनाओं पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे रतन टाटा की सीख को हमेशा अपने साथ रखेंगे और उनके दिखाए मार्ग पर चलते रहेंगे। उनके बिजनेस गुडफेलो के जरिए वह समाज में बुजुर्गों की मदद करना जारी रखेंगे। Ratan Tata और Shantanu Naidu की कहानी केवल एक बॉस और कर्मचारी के रिश्ते तक सीमित नहीं थी। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें उम्र, पीढ़ी और विचारधाराओं के बंधन टूटते हैं और एक सच्ची मानवीय भावना की जीत होती है। शांतनु और रतन टाटा की यह दोस्ती हमें यह सिखाती है कि कैसे सच्चे संबंधों की नींव पर ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।