आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया है कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पिछली सरकार के दौरान तिरुपति लड्डू में पशु वसा (Tirumala Tirupati Laddos In Animal Fat Row)का इस्तेमाल किया गया था। इस आरोप से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिससे धार्मिक नेताओं और राजनीतिक दलों में गुस्सा है और इस मुद्दे पर सफाई की मांग की जा रही है। तिरुपति लड्डू की तैयारी को लेकर इस विवाद में कई राजनीतिक और धार्मिक नेता अपनी राय दे रहे हैं।
तिरूपति लड्डू की प्रासंगिकता
Tirumala Tirupati Laddos की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रासंगिकता इसकी खास महत्ता में छिपी है। यह लड्डू भगवान वेंकटेश्वर को तिरुमाला मंदिर में चढ़ाया जाता है और फिर भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। अपने खास स्वाद, शुद्ध सामग्री और पारंपरिक तरीके से तैयार किए जाने की वजह से यह लड्डू तिरुपति की पहचान बन चुका है।
‘श्रीवारी लड्डू’ के नाम से भी प्रसिद्ध यह प्रसाद पिछले 300 से ज्यादा सालों से मंदिर की परंपरा का अहम हिस्सा रहा है, और कहा जाता है कि यह भगवान वेंकटेश्वर का पसंदीदा नैवेद्यम (चढ़ाया जाने वाला प्रसाद) है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD), जो मंदिर का प्रबंधन करता है, Tirumala Tirupati Laddos को 15 दिनों तक ताज़ा बनाए रखने के लिए आधुनिक पैकेजिंग तकनीकों का इस्तेमाल करता है।
2015 में वर्ल्ड वाइड जर्नल्स के एक अध्ययन के अनुसार, हर दिन तिरुपति लड्डू बनाने के लिए लगभग 1 टन बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलो काजू, 150 किलो इलायची, 300-500 लीटर घी, 500 किलो मिश्री और 540 किलो किशमिश का उपयोग किया जाता है। इस लड्डू को हर साल लाखों भक्त आस्था के साथ ग्रहण करते हैं, जो इसे और भी खास बनाता है।
Tirumala Tirupati Laddos Controversy-
चंद्रबाबू नायडू ने क्या कहा-
एनडीए विधायक दल की बैठक के दौरान चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के Tirumala Tirupati Laddos बनाने में घटिया सामग्री और पशु वसा का इस्तेमाल किया था। इसके बाद, टीडीपी के प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा दिए गए घी के नमूनों की जांच में मिलावट की पुष्टि हुई है। उन्होंने दावा किया कि गुजरात की एक प्रयोगशाला ने घी के नमूने में ‘बीफ़ टैलो, लार्ड और मछली के तेल’ की मौजूदगी पाई है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री और चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश ने कहा कि प्रयोगशाला की रिपोर्ट से साफ है कि लड्डू बनाने में बीफ़ फैट, मछली का तेल और लार्ड का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि नायडू ने बुधवार को इन बातों का खुलासा किया था और अब इसे सबूतों के साथ साबित किया गया है।
लैब रिपोर्ट क्या कहती है?-
अनम वेंकट रमना रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि घी के नमूनों की लैब रिपोर्ट में गोमांस की चर्बी पाई गई है। इसके अलावा, नमूनों में सूअर की चर्बी (लार्ड) और मछली के तेल की भी मौजूदगी बताई गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, नमूना 9 जुलाई, 2024 को लिया गया था और लैब रिपोर्ट 16 जुलाई, 2024 को जारी की गई थी। रेड्डी ने कहा, “लैब रिपोर्ट से साफ हुआ है कि तिरुमाला को सप्लाई किए गए घी में गोमांस की चर्बी, लार्ड और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया था, और एस वैल्यू सिर्फ 19.7 थी।”
बाद में, एएनआई से बात करते हुए रेड्डी ने दोहराया कि चंद्रबाबू नायडू ने पहले ही इस मुद्दे को उठाया था, और अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की रिपोर्ट ने इस घी में पशु वसा की मिलावट की पुष्टि की है।